भगवान के नाम का टैटू बनवाना God Name Tattoo– आस्था या अपमान? प्रेमानंद जी महाराज की चेतावनी

आज के समय में युवाओं के बीच टैटू बनवाने का शौक बहुत बढ़ गया है। कई लोग अपने शरीर पर डिज़ाइन, शायरी या अपनों के नाम के साथ-साथ भगवान के नाम का टैटू God name tattoo भी बनवाते हैं। उनका मानना होता है कि यह भगवान के प्रति उनकी भक्ति और श्रद्धा को दिखाता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या सच में भगवान का नाम शरीर पर गुदवाना सही है, या यह जाने-अनजाने में भगवान का अपमान हो सकता है?

प्रेमानंद जी महाराज का दृष्टिकोण

प्रेमानंद जी महाराज, जो श्री वृंदावन धाम के प्रसिद्ध संत हैं, उन्होंने भगवान के नाम का टैटू God name tattoo को लेकर भक्तों को चेतावनी दी है। उनका कहना है –
“भगवान का नाम शरीर पर नहीं, हृदय पर अंकित होना चाहिए।”

महाराज जी समझाते हैं कि शरीर नश्वर है, और यह हर दिन अपवित्र भी होता है। जब शरीर अशुद्ध होता है, तब उस पर बना भगवान के नाम का टैटू God name tattoo भी अशुद्ध हो जाता है। यह स्थिति भगवान के पवित्र नाम की महिमा के विपरीत है।

आस्था या दिखावा?

कुछ लोग भगवान के नाम का टैटू God name tattoo अपनी भक्ति का प्रदर्शन मानते हैं। लेकिन प्रेमानंद महाराज जी स्पष्ट करते हैं कि भक्ति आंतरिक होती है, बाहरी नहीं। अगर कोई व्यक्ति भगवान का नाम केवल दिखावे के लिए शरीर पर गुदवाता है, लेकिन मन से भगवान को स्मरण नहीं करता, तो यह सच्ची भक्ति नहीं कहलाती।

क्यों न करें भगवान का नाम टैटू के रूप में?

  1. शरीर अशुद्ध हो सकता है: अगर आपने श्रद्धा से भगवान के नाम का टैटू बनवाया god name tattoo है, तो उसकी पवित्रता बनाए रखना बहुत जरूरी है। लेकिन जब हम नहाते हैं, शौच के लिए जाते हैं या बिना नहाए रहते हैं, तो हमारा शरीर अशुद्ध हो जाता है। ऐसे में शरीर पर बना भगवान का नाम या चित्र भी अपवित्र हो सकता है। अगर हम इस बात का ध्यान न रखें, तो यह भगवान का अपमान भी बन सकता है।
  2. आदर और मर्यादा का उल्लंघन: भगवान के नाम को ऐसी जगह गुदवाना जहाँ बार-बार गंदगी या अनादर हो सकता है, यह भगवान की महिमा को छोटा करने जैसा है।
  3. टैटू स्थायी है, मन अस्थिर: यदि भविष्य में व्यक्ति के विचार बदल जाएँ और वह अपनी आध्यात्मिकता से दूर हो जाए, तब भी भगवान के नाम का टैटू (God name tattoo) बना रहेगा, लेकिन वह उसके अनुरूप जीवन नहीं जी रहा होगा।

मेहंदी और सजावट में भी न हो भगवान

महाराज जी कहते हैं कि चाहे स्थायी टैटू हो या अस्थायी मेहंदी, अगर उसमें भगवान का नाम या चित्र हो, तो यह धर्म के अनुसार अनुचित है। देवताओं को सजावट की वस्तु बनाना श्रद्धा का रूप नहीं, बल्कि अपमान है।

सच्ची भक्ति क्या है?

प्रेमानंद महाराज जी कहते हैं कि भगवान को बाहरी गुदावनियों से प्रसन्न नहीं किया जा सकता। वे तो वही भक्ति स्वीकार करते हैं जो प्रेम से, श्रद्धा से, और मन से की जाती है। जब कोई भक्त सच्चे हृदय से “राधे-राधे” जप करता है, तो वह नाम उसके हृदय पर अंकित हो जाता है।

God name tattoo बनवाना, क्या यह पाप है?

महाराज जी इस पर साफ़ कहते हैं कि भगवान के नाम का टैटू God name tattoo बनवाना पाप है, यदि इसे गंदे शरीर पर, दिखावे के लिए या बिना श्रद्धा के बनवाया गया है, तो यह भगवान के नाम का अपमान बन सकता है।

युवाओं को संदेश

महाराज जी का संदेश युवाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है:
“भगवान को शरीर पर नहीं, मन और कर्मों में बसाओ। उनके नाम का आदर करो, न कि उसे फैशन बना दो।”

यदि आप भगवान के सच्चे भक्त बनना चाहते हैं, तो उनके नाम को अपने विचारों, वाणी और व्यवहार में शामिल करें। भगवान के नाम का टैटू (God name tattoo) बनवाने की बजाय, रोज़ उनके नाम का जप करें और अपने जीवन को उनके अनुरूप बनाएं।

निष्कर्ष

भगवान का नाम टैटू के रूप में बनवाना यदि आस्था से किया जाए तो भी यह सोचने की बात है कि क्या यह तरीका भगवान को स्वीकार होगा? प्रेमानंद जी महाराज हमें यही संदेश देते हैं कि –
“भगवान शरीर पर नहीं, मन और हृदय में बसते हैं। उनके नाम को गुदवाने से ज़्यादा ज़रूरी है उन्हें याद करना, जपना और प्रेमपूर्वक उनका ध्यान करना।”

यदि आप सच्चे भक्त बनना चाहते हैं, तो प्रेमानंद जी महाराज की बातों को ध्यान में रखते हुए आंतरिक भक्ति को अपनाएँ, न कि बाहरी दिखावे को।

चाहें टैटू बनवाया हो या नहीं, भगवान का नाम सदा सम्मान और प्रेम से जपना चाहिए – तभी मिलेगा उसका असली फल।

🙏 राधा वल्लभ श्री हरिवंश 🙏

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