कलियुग में भगवान को पाने का सबसे सरल और प्रभावी साधन है – नाम जप। श्री हरि नाम में इतनी शक्ति है कि वह मन, शरीर और आत्मा – तीनों को शुद्ध कर देता है। संतों और महापुरुषों का मत है कि यदि मनुष्य नियमित रूप से नाम जप करे और एक निश्चित संख्या तक पहुँचे, तो उसे अद्भुत फल मिलते हैं।
संतों ने कहा है –
“कलौ नाम केवलं धर्मं, हरिर्नामैव केवलम्।”
अर्थात कलियुग में केवल भगवान का नाम ही सबसे बड़ा धर्म है।
संत पलटूदास जी ने बताया है कि अगर कोई व्यक्ति नियमपूर्वक भगवान के नाम का जप करे और एक निश्चित संख्या पूरी करे, तो उसे आश्चर्यजनक फल मिलते हैं। आइए जानते हैं किस संख्या पर क्या मिलता है—
1. एक करोड़ नाम जपने पर क्या होता है?
एक करोड़ नाम जपने पर साधक के अंतःकरण में दिव्यता का उदय होता है। शरीर रूपी घर में दीपक जलने जैसा अनुभव होता है। तमोगुण और रजोगुण समाप्त होने लगते हैं।
- स्वप्न में देव, ऋषि-मुनि, संत आदि के दर्शन होते हैं।
- पापों का बीज नष्ट हो जाता है।
- मन में भगवान के प्रति प्रेम जागता है।
“हरि नाम प्रणामं ये कुर्वंति दिनेषु दिनेषु।
ते पापं विनाशयन्ति समूलं जलदाहतः।“
(जो प्रतिदिन भगवान का नाम जपते हैं, वे अपने पापों को मूल से नष्ट कर देते हैं।)

2. दो करोड़ नाम जपने पर क्या होता है?
दो करोड़ नाम जपने पर साधक के जीवन से निर्धनता दूर हो जाती है। उसे भगवान की कृपा से वो सब कुछ मिलने लगता है जिसकी उसे आवश्यकता है, पर वह खुद कुछ माँगता नहीं।
- साधक में संतोष उत्पन्न होता है।
- संसार की इच्छाएँ धीरे-धीरे मिटने लगती हैं।
- सुख-साधन स्वयं साधक के पास आने लगते हैं।
उदाहरण: जैसे समुद्र नदियों को नहीं बुलाता, पर नदियाँ स्वयं उसमें मिल जाती हैं।
3. तीन करोड़ नाम जपने पर क्या होता है?
इस संख्या तक पहुँचने पर काम, क्रोध, लोभ जैसे विकारों पर साधक का नियंत्रण होने लगता है। मन अब बाहर की वस्तुओं से हटकर भगवान में लगने लगता है।
- मोह-माया कम होने लगती है।
- साधक का हृदय निर्मल और भावुक हो जाता है।
- साधक भजन में रुचि लेने लगता है।
- मन शांत और स्थिर होने लगता है।
4. चार करोड़ नाम जपने पर क्या होता है?
चार करोड़ नाम जपने से साधक द्वंद्वों से ऊपर उठ जाता है – जैसे लाभ-हानि, सुख-दुख, मान-अपमान।
- साधक को आत्मा का बोध होता है कि “मैं नित्य हूँ, शरीर अनित्य है”।
- दुख और रोगों का प्रभाव कम हो जाता है।
- भगवान की निकटता का अनुभव होता है।
“नित्यं हरि नाम संकीर्तनं, सर्वदुःख विनाशनम्।”
(हरि नाम का निरंतर संकीर्तन सभी दुःखों का नाश करता है।)
5. पाँच करोड़ नाम जपने पर क्या होता है?
इस स्तर पर साधक की वाणी में ऐसी शक्ति आ जाती है कि वह बोले, तो दूसरों को भी शांति मिले।
- शास्त्रों का ज्ञान बिना पढ़े प्रकट होने लगता है।
- विरोधी भी मित्र बन जाते हैं।
- साधक की यश और सम्मान बढ़ता है।
6. छह करोड़ नाम जपने पर क्या होता है?
छः करोड़ नाम जप से साधक में विलक्षण आत्मबल आता है। शारीरिक और मानसिक रोगों पर विजय मिलने लगती है।
- इंद्रियाँ संयमित होती हैं।
- देवताओं के दर्शन सपनों में होते हैं।
- काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद और मत्सर पर जीत मिलती है।
ध्यान दें: संत शरीर को बचाने के लिए इतने नाम जप नहीं करते, वे तो भगवान की प्राप्ति हेतु नाम जपते हैं।
7. सात करोड़ नाम जपने पर क्या होता है?
साधक अब विषय-विकारों से मुक्त हो जाता है। स्त्री, संपत्ति आदि में अब उसकी कोई आसक्ति नहीं रह जाती।
- हर समय भगवान के स्वरूप में लीनता रहती है।
- नाम रस में डूबा साधक अब भगवान से कभी विचलित नहीं होता।
- मन कभी वापस संसार में नहीं जाना चाहता।
- साधक का मन भगवान के प्रेम में स्थिर हो जाता है।
8. आठ करोड़ नाम जपने पर क्या होता है?
इस अवस्था में साधक मृत्यु से डरना छोड़ देता है। वह समझ जाता है कि “मैं शरीर नहीं, आत्मा हूँ।”
- मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।
- हर क्षण आत्मस्मृति बनी रहती है।
- सांसारिक दुःख अब दुख नहीं लगते।
9. नौ करोड़ नाम जपने पर क्या होता है?
यह वह सीमा है जहाँ साक्षात भगवान के दर्शन होते हैं। जैसे राम नाम जपने पर श्रीराम के दर्शन, राधा नाम पर श्रीराधा के दर्शन। श्रीराम, कृष्ण नाम जपने पर श्रीकृष्ण के दर्शन होते हैं।
- वाणी सिद्ध हो जाती है।
- भगवान की उपस्थिति का अनुभव हर पल होता है।
- साधक का जीवन दिव्य बन जाता है।
“स्वप्ने अपि हरि दर्शनं लभते नाम साधकः।”
(नाम जप करने वाला स्वप्न में भी भगवान के दर्शन करता है, इसमें कोई संदेह नहीं।।)
10. दस करोड़ नाम जपने पर क्या होता है?
- तीनों कर्म – संचित, प्रारब्ध, क्रियमाण – भस्म हो जाते हैं।
- अब साधक को भजन करने में कोई रुकावट नहीं रहती।
- आत्म साक्षात्कार हो जाता है।
11. ग्यारह करोड़ नाम जपने पर क्या होता है?
- भक्ति, योग, ज्ञान, वेदांत – सभी सिद्धियाँ सरलता से मिल जाती हैं।
- साधक अब लेने वाला नहीं, देने वाला बन जाता है।
- वह लीला-साक्षात्कार करने लगता है – जैसे गोकुल, अयोध्या, काशी की लीलाएँ।
12. बारह करोड़ नाम जपने पर क्या होता है?
भगवान स्वयं साधक के पीछे-पीछे चलते हैं। नाम जापक को भगवान अधीन होकर अपना बना लेते हैं।
- भगवान हर कार्य में सहायता करते हैं।
- साधक को परमानंद की प्राप्ति होती है।
- नाम अब साधक के प्राण बन जाता है।
13. तेरह करोड़ नाम जपने पर क्या होता है?
साधक स्वयं तो मुक्त होता ही है, वह दूसरों को भी मोक्ष दिला सकता है। यह अवस्था महात्माओं की होती है।
- साधक दूसरों को उद्धार कर सकता है।
- वह परम कृपालु बन जाता है।
- उसकी वाणी से निकले हर शब्द साधक को प्रभावित करता है।
निष्कर्ष:
अब प्रश्न उठता है – कितना नाम जप करें जिससे भगवान मिलें?
उत्तर है – नौ करोड़ नाम जप में।
आज के समय में मनुष्य पैसे, सुख और भौतिक वस्तुओं के पीछे दौड़ रहा है, लेकिन “नाम रूपी धन“ को भूल गया है। यह ऐसा खजाना है जो सब कुछ दे सकता है – धन, संतान, सुख, शांति, मोक्ष और भगवान का साक्षात्कार।
कर्दम ऋषि ने दस हजार वर्षों तक तप किया था, तब जाकर उन्हें देवहूति जैसी पुण्य पत्नी और भगवान कपिल जैसे पुत्र मिले।
हमारे पास दस हजार वर्ष नहीं हैं, लेकिन 70-80 वर्षों की आयु में यदि सतत नाम जप करें, तो सब कुछ प्राप्त कर सकते हैं।
श्लोक:
“सर्वं हरिर्नाम न किंचन दोषं, स्मरणमात्रेण हरिः पुमान सिध्यति।”
(केवल स्मरण मात्र से ही मनुष्य सिद्धि को प्राप्त कर सकता है।)