श्रीकृष्ण की 8 प्रमुख पत्नियाँ थीं, जिन्हें अष्टा भार्या कहा जाता है। ये रानियाँ उनके साथ द्वारका में निवास करती थीं और उनका जीवन भक्ति, सेवा और प्रेम से परिपूर्ण था। इनके नाम हैं:
आठ प्रमुख रानियाँ (अष्टा-भार्या)
श्रीकृष्ण जी की आठ मुख्य पत्नियाँ थीं, जिन्हें अष्टा-भार्या कहा जाता है। ये रानियाँ थीं:
- रुक्मिणी – श्रीकृष्ण की पहली और सबसे प्रिय पत्नी, देवी लक्ष्मी का अवतार मानी जाती हैं।
- सत्यभामा – सुंदरता और साहस की प्रतीक।
- जाम्बवती – जाम्बवान की पुत्री, जो स्यमंतक मणि की कथा में प्रमुख हैं।
- कालिंदी – सूर्य देव की पुत्री।
- मित्रविंदा – यादव वंश की राजकुमारी।
- नग्नजिति (सत्या) – राजा नग्नजित की पुत्री।
- भद्रा
- लक्ष्मणा (मद्री) – मद्र देश की राजकुमारी।
ये सभी रानियाँ द्वारका में श्रीकृष्ण के साथ रहीं और भक्ति में लीन थीं।
16,100 राजकुमारियों का उद्धार
इन आठ रानियों के अतिरिक्त, श्रीकृष्ण जी ने 16,100 अन्य राजकुमारियों से भी विवाह किया। ये सभी नारकासुर नामक राक्षस के बंदीगृह में कैद थीं।
भगवान श्रीकृष्ण ने उनका उद्धार किया और समाज में उनका सम्मान बनाए रखने के लिए उनसे विवाह किया। यह विवाह उनके करुणा और धर्म के पालन का प्रतीक है।
आध्यात्मिक संदेश
श्रीकृष्ण के इतने विवाह मात्र सांसारिक घटनाएँ नहीं हैं, बल्कि गहरे आध्यात्मिक संकेत हैं। वे यह दर्शाते हैं कि भगवान प्रत्येक आत्मा को अपनाते हैं जो प्रेमपूर्वक उनके शरण में आती है। हर भक्त, चाहे वह किसी भी परिस्थिति में हो, भगवान की कृपा का अधिकारी बन सकता है।
निष्कर्ष:
श्रीकृष्ण जी की कुल 16,108 पत्नियाँ थीं — जिनमें 8 मुख्य रानियाँ थीं और 16,100 वो स्त्रियाँ थीं जिन्हें उन्होंने उद्धार करके अपनाया था। यह कथा भगवान के प्रेम, भक्ति और करुणा का सुंदर उदाहरण है।