मेरा मन अशांत रहता है, इसलिए मैं कोई भी काम लगातार और पूरे मन से नहीं कर पाता। ध्यान जल्दी भटक जाता है और अधूरापन महसूस होता है। यह स्थिति मुझे थका देती है और आत्मविश्वास भी कम हो जाता है। मन को शांत करने के लिए सुबह जल्दी उठकर ध्यान, प्राणायाम और भजन करना शुरू किया है।
मन, वीर्य और प्राण – ये तीनों एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। अगर हमारा ब्रह्मचर्य ठीक रहता है, तो हमारा मन शांत और एकाग्र रहेगा और श्वास यानी प्राण भी मजबूत और हल्के होंगे। लेकिन अगर वीर्य कमजोर हो जाए, तो मन बहुत चंचल और बेचैन हो जाता है और प्राण (श्वास) भी भारी और कमजोर लगने लगते हैं। चाहे आप गृहस्थ हों या सन्यासी, संयम (Self-control) सभी के लिए जरूरी है। जब तक विवाह न हो, तब तक पूरा संयम बनाए रखना चाहिए।
वीर्य और ब्रह्मचर्य का महत्व

अगर हम समझ जाएं कि वीर्य और ब्रह्मचर्य (Celibacy) कितने जरूरी हैं, तो हम कई तरह की परेशानियों से बच सकते हैं।
आध्यात्मिक शक्ति भी वीर्य के द्वारा ही प्रकट होती है।
जब कोई व्यक्ति ब्रह्मचर्य का पालन करता है और भगवान का भजन करता है, तो उसे दिव्य शक्ति मिलने लगती है।
भगवान कश्यप जी ने गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी 10,000 साल तक ब्रह्मचर्य का पालन किया था। इसके फलस्वरूप माता विनता के गर्भ से गरुड़ जी का जन्म हुआ, जो इतने शक्तिशाली थे कि अपने एक पंख में पूरे ब्रह्मांड को उठा सकते थे।
इसलिए अगर आप मन की शांति चाहते हैं और ध्यान ठीक से लगाना चाहते हैं, तो संयम और ब्रह्मचर्य का पालन जरूरी है।
गृहस्थ जीवन में रहकर भी मिल सकती है योग्य संतान

अगर कोई व्यक्ति घर-गृहस्थी में रहते हुए भी संयम के साथ भगवान का भजन करे, तो वह बुद्धिमान, ज्ञानी और शक्तिशाली संतान प्राप्त कर सकता है। लेकिन आज के समय में ब्रह्मचर्य (संयमित जीवन) के प्रति लोगों की रुचि कम होती जा रही है।
लोग ज़्यादातर समय मनोरंजन, भोग-विलास और आराम में बिताने लगे हैं, जिससे उनकी मानसिक शांति धीरे-धीरे खत्म हो रही है।
युवाओं में उत्साह की कमी क्यों है?
आजकल बहुत से युवाओं में जोश और आत्मविश्वास की कमी दिखती है।
वे अक्सर डिप्रेशन, चिंता और तनाव में रहते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि उनकी भीतर की शक्ति (inner strength) कमजोर हो चुकी है।
जब मन हर वक्त डर, दुःख और फालतू सोचों में उलझा रहता है, तो नकारात्मकता (negative thinking) बढ़ने लगती है।
अगर युवा ब्रह्मचर्य का पालन करना शुरू करें, तो वे इस भीतर की शक्ति को फिर से वापस पा सकते हैं।
ब्रह्मचर्य का पालन – मुश्किल ज़रूर, लेकिन मुमकिन है
ब्रह्मचर्य का पालन करना थोड़ा मुश्किल ज़रूर है, लेकिन असंभव नहीं।
यह न केवल शरीर को मजबूती देता है, बल्कि मन और आत्मा को भी शक्ति देता है।
अगर कोई इसमें कई बार असफल भी हो जाए, तो उसे हिम्मत नहीं हारनी चाहिए।
हर बार नई शुरुआत करनी चाहिए और मन में संकल्प लेना चाहिए कि “मैं इसमें सफल होऊंगा।”
संत-महात्मा भी इसलिए बड़े तपस्वी बन पाते हैं, क्योंकि वे दृढ़ मन और संयम के साथ जीवन जीते हैं।
अगर हम भी ऐसा करने की कोशिश करें, तो जीवन में आत्मिक शांति, सफलता और संतुलन पा सकते हैं।
ब्रह्मचर्य के लिए जरूरी है – सुबह जल्दी उठना और व्यायाम करना

आज के समय में हमारा खान-पान, संगत, देखने-सुनने की आदतें सब कुछ काफी बिगड़ चुके हैं।
अगर हम गलत चीज़ें देखेंगे, सुनेंगे और उनके बारे में सोचेंगे, तो ब्रह्मचर्य (संयमित जीवन) को निभाना बहुत मुश्किल हो जाएगा।
लेकिन चिंता की बात नहीं है, क्योंकि अभी भी वक्त है अपने जीवन को सुधारने का।
हमेशा कोशिश करें कि आप हर दिन थोड़ा-थोड़ा शारीरिक व्यायाम करें, जैसे कि दौड़ना, दंड-बैठक या योग।
अगर शरीर थकता है, तो मन अपने आप शांत हो जाता है, और ब्रह्मचर्य में स्थिरता आती है।
सुबह जल्दी उठना क्यों जरूरी है?
अगर आप देर तक सोते रहेंगे, तो संयम और आत्मनियंत्रण का पालन मुश्किल हो जाएगा।
सुबह 4 बजे उठें, थोड़ा टहलें और कम से कम आधे से एक घंटे तक व्यायाम करें।
इससे आपका शरीर भी तंदुरुस्त रहेगा और मन भी शांत बनेगा।
गृहस्थ जीवन कोई साधारण चीज़ नहीं है। इसमें बहुत सी ज़िम्मेदारियाँ होती हैं।
अगर शरीर कमजोर होगा और सोच गंदी होगी, तो जीवन और भी भारी लगने लगेगा।
कुछ समय की लापरवाही भी शरीर को कमजोर बना सकती है, और फिर लोग यही कहेंगे कि “ये तो आलसी हो गया है।”
ब्रह्मचर्य से मिलती है एकाग्रता और शक्ति

ब्रह्मचर्य कोई मामूली चीज़ नहीं, ये सबसे बड़ा तप, सबसे बड़ी पूँजी, और सबसे गहरी एकाग्रता का रास्ता है।
अगर ब्रह्मचर्य सही होगा, तो आंखें खुली हो या बंद, आपका मन एक जगह केंद्रित रहेगा।
फिर चाहे आप भगवान का भजन कर रहे हों या कोई काम, उसमें पूरी ऊर्जा लग जाएगी।
शारीरिक मेहनत से आती है मजबूती
आजकल लोग मेहनत से दूर भागने लगे हैं। पहले के लोग, जैसे किसान, हल चलाते थे, खेतों में घंटों काम करते थे, फिर भी ताकतवर रहते थे।
आज मशीनों पर निर्भरता इतनी बढ़ गई है कि लोग बिना कुछ किए ही थक जाते हैं।
इससे शरीर कमजोर और मन आलसी होता जा रहा है।
हमें समझना होगा कि ये शरीर अनमोल है।
हमें इस शरीर की रक्षा करनी चाहिए और इसे ईश्वर की भक्ति और सेवा के लिए उपयोग में लाना चाहिए।
जीवन को ऊँचा बनाएं, नीचे मत गिरने दें
हम इंसान हैं, हमें एक सुंदर मानव जीवन मिला है।
इसलिए कोशिश करें कि जो ऊँचाई तक आप पहुंचे हैं, वहां से पीछे न हटें।
हर दिन अपने जीवन को थोड़ा और बेहतर बनाएं।
संयम, नियम और भजन से जीवन सफल और सार्थक हो सकता है।
ब्रह्मचर्य निभाने के लिए बुरी आदतों से दूर रहें
आजकल कई लोग मांस खाना, शराब पीना, जुआ खेलना और दूसरी गलत आदतों में फँस जाते हैं।
ये सब चीज़ें इंसान का शरीर, मन और जीवन — तीनों को नुकसान पहुंचाती हैं।
खासकर युवाओं को बहुत सावधान रहने की ज़रूरत है।
इस समय की गई गलतियाँ आगे चलकर बहुत बड़ी परेशानी बन सकती हैं।
अगर आप शुद्ध भोजन करेंगे, अच्छे विचारों वाले लोगों की संगत रखेंगे, और भक्ति की बातें सुनेंगे,
तो धीरे-धीरे मन भी साफ़ और मजबूत बनता जाएगा।
ब्रह्मचर्य का मतलब है आत्मसंयम रखना।
यही असली तरक्की और सुख का रास्ता है।
सावधान रहें, अपने जीवन में अनुशासन लाएं और जो भी लक्ष्य आपने तय किया है, उसे पाने की कोशिश करें।
पूज्य श्री प्रेमानंद महाराज जी हमेशा यही सिखाते हैं कि
अगर इंसान संयम से और सच्चाई से जीवन जिए,
तो वह अपने जीवन को सफल और शांतिपूर्ण बना सकता है।
🙏 राधा वल्लभ श्री हरिवंश 🙏